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Friday, December 31, 2010

सच ही कहा है किसी ने " ना है ये पाना ,ना खोना ही है ,
तेरा ना होना जाने ,क्यों होना ही है "........
इन कुछ चुनिन्दा शब्दों में एक जीवन लिप्त है....
कोई समझे तो कहानी, वर्ना किसी के जीवन की शायद आखरी निशानी !!!!!!!

Saturday, October 30, 2010



तेरी सलामती की दुआ है , लोबो पर मेरे ,,
पूरी हो हर आरजू ऐसी दिल में हसरत है मेरे ....

क्या हुआ गर तू नहीं साथ मेरे ,
पलकों के छोर पर संग बिताये पलो की यादें महफूज़ है मेरे .....

आज भी याद है , वो धुंधली रोशिनी में मेरा तुझसे दूर होना ,,,
ओर फिर एक दिन तेरा दूर से ही चले जाना ......

मन में मेरे तेरे हर स्पर्श का एहसास है ,,
कैसे कहुं तुझे ,आज भी तुझसे मिलने की दिल को एक आस है ......

जानती हूँ , मजबूरियां है ,,जीवन में बहुत ,,,
कैसे जातायुं तुझे .....तुझसे बिछड़ के मेरी आँखे रोई बहुत .......

तन्हाई की सेज है ,,उदासी की सजावट है ...
कैसे तुझे मालूम हो की , तुझे देखे बिना कोई कितना बैचैन है ......

ऐसा लगे है मानो ,रुक गई हो जिन्दगी जैसे ,,
ख़ुशी का मौसम छाया था, कुछ पल का ,, ओर यहाँ श्याम भी अंधेर है .........

आँख से झलकी हर बूँद में सिमटे हैं ,ढेरो सपने...
आज जो हैं दूर मुझसे,कभी वो भी थे अपने...

कैसे करू बयान मैं, अपने दिल का हाल तुम्हें...
क्या मानु तुम्हारी यादों को पा लिया मैंने या फिर खो दिया तुम्हें....


Friday, October 29, 2010



बहुत वक्त बीत गया ,,अनेको एहसासों को लिखते - लिखते ,
और शायद बीत गया वो पल भी जिसमे हम अपनी खुशिया समेटे रहे.........

अनेको खुशिया संग थी उसके ,हर पल में अक्सर ,
सिर्फ हम ही उसके साथ के एहसास से अछूते रहे .......

आँखों में आज भी भर आते है उसकी जुदाई के गम में , दिल से बहे आंसू ,
एक हम है ,,,कि उसके साथ के हर पहलु को , अपने दुप्पट्टे के कोने से बांधे रहे ..........

कोई ख़ास शिकायत नही है उससे , साथ जिन्दगी में ना होने की ,
फिर क्यों हम , अक्सर तन्हाई में आंसू बहाते रहे......

जब कोई न मिला , ' खुश ' होने का बहाना हमें ,
फिर खुद ही अपनी हट्ठखेलियो पर हम मुस्कराते रहे .....

और फिर जब भी सहन न हुआ सीने में दर्द से उठा सैलाब ,
फिर कोरे कागज़ की गलियों में उसे समाते रहे .............

Thursday, October 21, 2010

" क्या खोया क्या पाया "


जैसा मिला  , भला मिला  ,
     कुछ मिला तो सही . . . .

जो खोया ,चला गया ,
      फिर भी बात संभली रही . . . .

गर हुआ कोई महरूम खुशियों  से ,
      फिर काहे साची हस्ती उसकी मिटती रही . . . .

कोन अपना है ,  कोन हुआ बेगाना ,
      उसकी समझ है यदि , फिर काहे न समझे मन ,
कोई यहाँ सगा नहीं . . . .

कहने को तन्हाई में संग है यादें बहुत ,
     फिर क्यूँ तन्हा जीने की आदत नहीं  . . . .

जिन्दगी में किनारे की तलाश है सभी को ,
      पर राह में आई मुश्किलों का हिसाब नहीं . . . .  

कैसे कहे क्या पा लिया ओर क्या खोया ,
      जब दिल को ख़ुशी का आगाज़ ओर दुःख का एहसास नहीं . . . . .

" कैसे मानु अब नहीं है तू "



तेरा होना आज भी याद आता है मुझको ,
तेरे साथ का बंधन आज भी हंसा जाता है मुझको ॥

तेरे साथ बिताये पल आज भी सलामत है जिन्दगी में मेरी ,
अब जब तू नहीं है इस जहां में ,
तो फिर ,तेरे न होने का सब्र कैसे करूँ ॥

एक घुटन सी है मन मेरे ,
क्यूँ ????
आज हर ख्याल है तेरे संग बंधा सा ॥

ऐसे हालात में , कैसे ????
गिरते आंसुओं को आँखों से दूर करूँ ॥

नींद में भी तेरे होने का आभास है ,
हर बात में तेरी कमी का एहसास है ,,

मालूम है मुझको वक्त के चक्र ने छिना है तुझे मुझसे ,
कोई तो बताये तेरी कमी को अपने जीवन में पूरी कैसे करूँ ॥

अकेले होने पर तेरे साथ की याद आती है ,
भीड़ में भी तुझ बिन तन्हा होने की रुआंसी छाती है ॥

कैसे समझाऊं दिल को अपने ,,
अनेको की भीड़ में कहीं भी अब नहीं है तू ॥

Saturday, October 02, 2010



जिन्दगी के उस दौर में , दर्द भरा था सिने में ,
सबको पता थी पीड़ा मेरे मन की ,फिर यह उसे ही क्यों न मालूम था . . .
गैरों के पुकारने पर , जिसने गौर किया सभी की बात पर ,
फिर जिससे दिल का रिश्ता बनाया , क्यों नहीं था एहसास उसी के प्यार का . . .
कितना ही रोई नज़रे , उसी के इंतज़ार में ,
हर ओर चहल-पहल थी , पर एक दिल बेजान था ,
सारे जहां की खबर थी उसे, क्या इस बात का पता नहीं था . . . .


उसके बिना न दिन कटता था , न ही रात गुजरती थी ,
बस अँधेरा हुआ था जहां में मेरे , क्या दिल ने उसके इस बात का जीकर किया था . . . . .

जिन राहो पर संग चलने की कसमे खाई , उसके जाने के बाद ,
अकेला रहना होगा मुझको , क्या इस बात से उसे मेरे तनहा होने का ख्याल नही था . . . . .

उसे ही तलाशती थी मेरी नज़रे हर वक्त , उसी से एक कतरा ख़ुशी की चाहत की थी ,
यदि पूछे आज उससे कोई ,तो क्या उसे कभी मेरे बेइंतिहा प्यार का एहसास नहीं था . . . . .

" Must Think Over It "


Hi,
Today is the day of 2nd october,, the day of Gandhi Ji ....' THE MAHATMA GANDHI ' ,Lal Bahadur Shashtri or THE 2nd PRIME MINISTER of the INDEPENDENT INDIA...as we all very well know about these Legends..............As i think , they were the only person's who always believe in the Truth and the Non-voilence specially Gandhi Ji.........And they were always believed that The coming India would become The Very Powerful Nation by its culture or its Sprituality.....But Now the time comes....when every person wants to be the Boss by Hook or by Crook....no matters the way or the Domain which he determines for himself is having the base of floating water in form of tears of their near and dear one's .

As Gandhi Ji always admired that the villages in india are the major source of Power ,,and they are the real Picture of a Spritual India....." Jaha ki dharti sabhi ke liye anaaj ugaati hai ,,,Sabhi ke Jindgi ki jarurato ko pura karne ka ek ahem hissa hai " .
But now as the time passes...no one thinks that,,,the major part of india is having the people who really don't have the meal of a single day,,even a meal of a single time-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Kaha gaya Gandhi ji ke sapno ka Bharat jaha kahi koi bhuka na rahe..........sardi me ,,, dhup me jiske sar per ek chatt ho----------aisa Bharat jaha sabhi prem se rahe--------koi kisi se nafrat na kare--------------har ek insaan ek dusre ke dard ko samjhe mehsus kare aur use dur karne ki koshish kare .

I think I m not the single person who wants to find out the answer's of these question , here there are many more people who wants to get the answer...... waise ek baat meri samajh se pare hai....................instead of being an indian............................every one wants to get great athority in the society.....but no one want to do work for the people by whom they want to aquire the great power for themselves..--------------------------------------------yeh to vahi baat ho gai............ki swarg to sabhi jana chahte hai.....par marna koi nahi chahta-------------------yadi yahi sab chalta raha......to vo din dur nahi jab Gandhi ji ke Sapno ka bharat Sapna hi ban kar reh jayega...........................................and i think nobody want that ???
So why all people thinks for the sake of themselves only..........nobody wants to share their happiness among the other people...................i would like to ask something--------------------------------that-----------------------

" Kya galat hoga ,,yadi kisi ki ek muskaharat se koi udas insaan bhi khush ho jaye " .
"Kya galat hoga,,yadi aapki khane ki plate me se 1 roti kisi gareeb insaan ko mil jaaye "......jise hamare desh me Jinda rehne ke liye.....mitti tak khani padti hai................"
meri nazar me to shyad kuch galat nahi,,,,

Today the time comes in which ......if we want to achieve the Great Success of ourself...there must be somthing good for the people who are anyhow related to the uneven circumstances surrounds them.....due to which they are not able to earn their livelihood to being alive............

And this must to be done by the people of India only to make THE INDIA as such as GANDHI JI wanted.....And This will be the only Super Gift to Gandhi Ji And Lal Bahadur Shashtri Ji by The Indians on the occasion of 2nd October...And That is what i want to share on this particular occasion. . . . .

Friday, October 01, 2010

""""कुछ नहीं है तेरे बगैर""""


तुझे क्या मालूम , तेरी ही हर बात से मिलती है ख़ुशी मुझे ,
नहीं तो -----जैसे हर पल नम है मेरी आँखे तेरे बागैर................

तुझे पहचान लिया है नजरों ने मेरी , फिर वो इत्तेफाक कैसे भुलाऊ ,
तुझसे कैसे कहूँ कितनी बेचैन है मेरी नज़रे-----तुझे देखे बगैर ...........

तेरे ख्याल से होती है सुबह श्याम मेरी ,
दिन में भी मेरे संग चलती है परछाई तेरी ...........

इस भरी दुनिया में भी सोचती हूँ तो -----कितनी तन्हा हूँ मैं तेरे बगैर ...........



........."अश्क".........

यह कैसा अलफ़ाज़ है मेरे मालिक ,
इसके बिना न ग़म की तकलीफ़ है , न तो ख़ुशी का सरूर ही है ........

परत दर परत अपने होने की नुमाइश करता है ,
लपेटे रहता है खुद मैं ही ----- ढेरो टूटे सपने ----ना जाने कितने ही अधूरे नग़मे.........

और यह अश्क जो मेरे दिल से होकर मेरी ----- आँखों में समाया है
क्यों यह मेरा होकर भी .......किसी के लिए ,मुझ से ही दूर होना चाहता है .......

क्यों यह अपने अस्तित्व से ------ जमाने को एक दर्द भरी दास्ताँ बया करता है .........
हर अरमान के टुकड़ो पर , यह सदा ही हँसता हुआ नज़र आता है ..........

मुस्कराता है , खिलखिलाता है , और अपने ही मालिक को तडपा कर चला जाता है ...........जैसे होने में इसके दर्द भरा है ,,अंखियो से इसका एक गहरा रिश्ता है .......

जैसे सागर में पड़े नग की तरह ,,पलकों पे.... शायद ये....... मोती सा जड़ा है ............

Wednesday, September 22, 2010

ek baat samajh se pare hai......jab jeena hi hai akele....aur chodna hai is sansaar
ko ek khamosh se din.......to aaj kyu hai itni bhagambhaag jindgi mein .........
jisme na jaane kitni anginat ...dheeme se aati hui ..chipi hui siskiya hai ......
aur kabhi hole se ek choti muskarahat............jisme bas mann sada ke liye ram jaane ko karta hai............
aur bhi na jaane aise kitne hi sawal hai...jo jindgi ki raah me aate hue har mod per saamne aakar khade ho jaate hai....tabh bas kareeb rehta hai to bas ek ehsaas jo .....itne saare sawalo ki uljhan raste me chalte hue ek baalak ki muskarahat se hone wali khushi se jodta hai................
aur kabhi -2 to mann karta hai ke yeh pal kabhi na beete................kabhi na beete !!!!!!!!!!!!!!!

Sunday, September 19, 2010

""""" तस्वीर अधूरी रहनी थी """""

मैं तो इतनी भाग्यवान हूँ ....जिसे अभावों ने है पाला ...
संगर्षोंकी सेज मिली ....ओर दर्द का मिला दुशाला ....

यह मैं कैसे घोषित कर दूँ ....मेरे दिल में व्यथा नहीं है ....
किन्तु संघर्षों से हार मानना ....अपने कुल की प्रथा नहीं है ....

शायद गत जन्मो में मैंने ....अधबने नीड़ तोड़े होंगे ....
चातक का स्वर सुनने वाले .....बादल वापस मोड़े होंगे ....
ऐसा अपराध हुआ होगा ....फिर जिसकी शमा नहीं मिलती ....
हिरनी के द्रग फोड़े होंगे ....तितर के पर नोचे होंगे ....
इसलिए मेरे मन को .....बेचैन तड़पना था !!!!
मन में कस्तूरी रहनी थी .......
तस्वीर अधूरी रहनी थी !!!!!!!!!!!!!
तस्वीर अधूरी रहनी थी !!!!!!!!!!!!!

Monday, August 30, 2010

" बिन फेरे हम तेरे "

कुछ दिल की नज़र से..........

सजी नहीं बरात ,,,,, तो क्या,,,,,
आई न मिलन की रात ,,,तो क्या ...........
ब्याह किया तेरी यादों से ...........गठबंधन तेरे वादों से.........
बिन फेरे हम तेरे ..................बिन फेरे हम तेरे............


तुने अपना मान लिया है ,,,,हम थे कहा इस काबिल.....
वो एहसान किया जाँ देकर ,,,जिसको चुकाना मुश्किल....
देह बनी न दुल्हन तो क्या...पहने नहीं कंगन तो क्या.....
बिन फेरे हम तेरे....बिन फेरे हम तेरे.............

आंच न आये नाम पे तेरे ..........ख़ाक भले ही जीवन हो.....
अपने जहां में आग लगा ले ...........तेरा जहां जो रोशन हो.......
तेरे लिए दिल तोड़ ले हम......घर क्या जग भी छोड़ दे हम......
बिन फेरे हम तेरे.....बिन फेरे हम तेरे................


जिसका हमे अधिकार नहीं था,,,,उसका भी बलिदान दिया......
अच्छे बुरे को हम क्या जाने.....जो भी किया....तेरे लिए किया.......
लाख रहे हम शर्मिंदा.......मगर रहे ममता जिन्दा................
बिन फेरे हम तेरे...................बिन फेरे हम तेरे....................!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Thursday, August 26, 2010

वो इत्तेफाक था या सच ,जब हम मिले थे,,,,

कैसे भूले उन प्यार भरी नजरों को,,,जो सिर्फ मेरे करीब होने का एहसास करना चाहती थी॥

पुरानी यादो के सहारे जीना सीख लिया था मैंने ,,फिर यह कैसा इत्तेफाक था ,,,,,,

कैसे कहे तुझसे के तुझ बिन कितने तनहा रह जाते है हम....जब भी मेरी नज़रे देखती है तुझको....क्यों सिर्फ तुझ

ही में खो जाना चाहती है............

यह क्या है ,,,अपनापन या ख़ुद से ही बेगानापन,,,,,,,जो कभी भी न अपनी सोच कर,,,,,,,सिर्फ तुझ में ही खोये रहने

का एहसास दिलाता है.....

यूँ तो मेरा हर लम्हा दर्द में डूबा है,,,,फिर भी तेरे साथ का हर पल एक अनजानी से ख़ुशी का एहसास जगाता

है,,,,,,,,,,,,

Friday, August 20, 2010

गुजरे हुए वक्त की ...........क्या बात कहे हम........

खामोश से होंठो से ..........क्या बात करे हम.....

ढक रहे है नम आँखों............. को पल्ले से अपने ..........

अपनी जुबान में यह शब्द ...........कैसे कहे हम ........

एसी हालत में.........तुही बता..........क्या मुलाकात करे हम .......

दिल ने महसूस की.............. जब भी कमी तेरी ..........

चाह तुझे बता दे...........पर खुद में ही सिमटे रहे हम.................

Thursday, August 19, 2010


तुझ बिन अकेला है यहाँ कोई , तुझ बिन रुसवा

है यहाँ कोई .......


हर बात में आती है तेरी ही याद , तुझ बिन अधुरा है यहाँ कोई

तेरे साथ जिन्दगी के जो पल गुजारे , तो आज क्यों जीए तेरे बिन यहाँ ,

सोच कर यह ' निशब्द' है यहाँ कोई .................



Monday, August 09, 2010

" एक ओर जिन्दगी चाहिए तुम्हारे साथ "


एक ऐसी जिन्दगी चाहिए , जो सिर्फ तुम्हारे संग बिता सकूँ ......
अपने समय का हर पल तुम्हारे साथ , , सिर्फ तुम रहो ओर मैं ,

जहाँ पर कही कोई तकलीफ न हो , ओर न हो तुम्हें खोने का डर ...

जहाँ पर तुमसे दूर जाने का ख्याल भी न हो कभी ......

जहाँ भी अकेली जाऊ , तुम्हें अपने साथ ले चलने के लिए जिद्द कर सकूँ ,

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए जो सिर्फ तुम्हारे संग बिता सकूँ !!!!!!!!!!

जब भी दिन का उजाला हो , तुम्हारे माथे पर चूम कर तुम्हें उठा सकूँ ,

मंदिर से लाया गया परशाद तुम्हें अपने हाथो से खिला सकूँ ,

जब भी चाहूँ तुम्हें जी भर के निहार सकूँ , तुम्हारे काँधे पर सर रख सो सकूँ ,

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए , जो सिर्फ तुम्हारे साथ बिता सकूँ !!!!!!!!!

एक जिन्दगी जिसमे तुम्हारे साथ मिर्च वाला खाना भी खा सकूँ ,

ओर जिसमे मुझे चाय पीने की भी आदत हो ,

ओर तुम्हारा कप छीनकर मैं पी सकूँ ,

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए जो सिर्फ तुम्हारे साथ बिता सकूँ !!!!!!!!!

जहाँ तुम्हारे साथ जा कर मैं जंगल में बनी उस पगडण्डी को देख सकूँ , ,

जो सिर्फ सफ़र में जाते हुए नजर आती है , ,

एक ऐसी जिन्दगी जिसमे तुम मुझे तुम जब चाहो गले लगा सको ,,

जहाँ चाहो पा सको . . . . . .

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए , जो सिर्फ़ तुम्हारे संग बिता सकूँ !!!!!!!!

Friday, August 06, 2010



वक्त के परिंदों को जब भी उड़ते देखती हूँ
अपने दुप्पट्टे के कोने में एक गाँठ लगाकर ,,
उस एहसास को कैद करने का जी करता है । . . .
मौसम के विपरीत चलती है जो पवन ,
उस सकूं भरे एहसास को ,
जिन्दगी की डोर में पिरोने का जी करता है । . . .
कुछ प्यारे,कुछ अनजाने ऐसे पल दाखिल हुए जिन्दगी में मेरे ,,
के उनके संग दूर तक चलने को जी करता है । . . .
बहता है अपनी गति से पानी सदा ,,
पर मेरा .......
सावन की रिम -झिम को हतेली पर समेटने का जी करता है । . . .
जिधर भी देखो , जहा भी देखो
आज हर पेड़ की शाख नयी लगी . . . .
ऐसे ही अनेको गुमनाम एहसासों को लेकर ,,
हल पल मुस्कराने को जी करता है !!!!

Tuesday, July 27, 2010

"तेरे जाने के बाद "

डर लगा अचानक ,जिन्दगी की हर ख़ुशी के अन्त होने का ..
झरने की तरह बहे आंसू , तेरे जाने के बाद . . . .


तुझे कैसे मालूम पड़े , सर्दियों के उन धुंद भरे दिनों में भी ,
सुलगती चिता सी जली हूँ मैं , तेरे जाने के बाद . . . .


साथ न मिला कोई तो , बेजान सी मैं , लिपट कर एक पेड़ से,
क्या मालूम तुझे कितना रोई मैं , तेरे जाने के बाद . . . .


हर चांदनी रात के आगोश में ,नजरें देखती रही उस चाँद को,
तुझे क्या एहसास ,ऐसी ही कितनी रातें निकाली मैंने , तेरे जाने के बाद . . . .


अपनी हर ख़ुशी की आहुति दे डाली मैंने ,
हर वक्त रहते थे पानी के सैलाब आँखों में मेरे ,


यह यकीन था के नहीं लौटेगा तू ,
फिर भी अपनी हर दुआ में ,तेरी ही सलामती की दुआ करी ,तेरे जाने के बाद . . . .

Wednesday, July 21, 2010



मुद्दतें बीत गई एक प्यार का अलफ़ाज़ सुने ..

जमाना गुज़र,औरहम तेरी यादों में खोये रहे ..

ऎसी पड़ी बदलते हुए वक्त की मार ..

अब तो उम्र भी निकल रही,और हम सब आंसू समेटे रहे ........

खामोशियो से बढती रही उलझने बीच हमारे ,

सिमटता रहा दिलो का प्यार ,दिल से हमारे ,

क्यों आज समझे है हम, वो इतिफाक ..

की तू नहीं है साथ ...अब हमारे ............

Friday, July 16, 2010

कभी बताया नहीं तुमने

कुछ खुशनुमा मौसम हुआ करता था.......
कुछ रौशनी से भरे बादल थे.......

जब हम पूछते थे तुमसे,तब हम तुम्हारे क्या थे...
प्यार की देहलीज़ पे जब कदम रखा हमने,तब तुम थे संग हमारे...


फिर आज यह वक्त गया,की वो सुन्हेरा वक्त कही बहुत दूर चला गया ...
बहुत दूर चले गए ,,, तुम भी तो चले गए थे ,,,,,


ओर कभी बताया भी नहीं ,के ऐसे जाना होगा.....
हर उस पल के परिंदों को आज भी जिन्दा रखा है मैंने अपने जेहन में...

तुम्हें भी वो कुछ बीते पल याद है के नहीं ....
कभी बताया नहीं तुमने......

वो सर्दियों की धुप में हमारा मिलना...
ओर फिर नज़र बहर तुम्हें देख कर मेरा लौट कर चले जाना...


उस दौर का माहोल तुम्हें याद है के नहीं .....
कभी बताया नहीं तुमने..........

Thursday, July 15, 2010

कैसे भुलाऊ ??



जब भी लोगो की भरी महफ़िल में हम जाते है ,
सभी होते है पास हमारे , पर हम तनहा रह जाते है ,


और अपनी उस तन्हाई में , तुझे अपने ओर करीब पाते है . .


फिर भी तेरे करीब होने की हर उम्मीद तोड़ते है
और फिर घर लौट जाते है !!


वीरानिया कुछ ऐसी बढ़ जाती है , जिन्दगी में मेरी
इसलिए ही , तेरे साथ होने का वादा खुद से निभाते है . .


वक्त के हर पहलु से पूछते है , कैसे भुलाऊ तुझे मेरे हमराही
और खुद ही तेरी जुदाई के गम में सुबक के रह जाते है . .


पर तुम फिकर न करना मेरे आंसुओ की कभी
हम तो नम आँखों से भी हर लम्हा मुस्कराते है !!!

Sunday, May 30, 2010

"तुम मुझे पालो मैं तुम्हें पालू"

शब्दों के इस जाल से ,एक शब्द निकला है

तुमने हमारी जुबान का हर शब्द संभाला है । ।

हर वक्त याद रहती है मेरे दिल में तुम्हारी

तुमने मुझे जीवन भर इस तरह से पाला है । ।

अनदेखी में भी नज़रंदाज़ न किया तुमने मुझे

हर दुःख से तुमने मुझे इस तरह उबारा है । ।

होती है मन मैं ख़ुशी मेरे तब-तब

जब -जब मैंने होंठो से तेरा नाम पुकारा है । ।

दिल में तेरी तस्वीर को ऐसे पाल रखा है मैंने

जैसे मेरा जीने का एक तुही सहारा है । ।

तन्हाई में आती है तेरी याद चलकर ऐसे

जैसे दुनिया की इस भीड़ में एक तू ही किनारा है । ।

सुबह की पहली किरण से आया तेरा ख्याल ऐसे

जैसे तुझ बिन जिब्दगी में कुछ भी ना मेरा है । ।

चाहूँ के , तू सदा रहे मेरे साथ मेरी परछाई बन कर

और मैं पालू तुझे अपने हिरदय में ऐसे

जैसे तेरे बिन मेरा जीना , एक पल भी न गंवारा है । ।

by : vibha sharma

Thursday, May 27, 2010


vo bhuli daastaan lo phir yaad aa gai . .
nazar ke saamane ghata si chha gai . .

kahaan se phir chale aaye, vo kuchh bhatke hue saaye
vo kuchh bhule hue naghame, jo mere pyaar ne gaaye
vo kuchh bikhari hui yaaden, vo kuchh toote hue naghame
paraaye ho gaye to kya, kabhi ye bhi to the apane
na jaane inse kyon mil kar, nazar sharma gai
vo bhuli daastaan..............

bade rangin zamaane the, taraane hi taraane the
magar ab poochhata hai dil, vo din the ya fasaane the
faqat ik yaad hai baaki, bas ik fariyaad hai baaki
vo khushiyaan lut gai lekin, dil-e-barabaad hai baaki
kahaan thi zindagi meri, kahaan par aa gai
vo bhuli daastaan......

ummeedon ke hansi mele, tamannaaon ke vo rele
nigaahon ne nigaahon se, ajab kuchh khel se khele
havaa men zulf laharaai, nazar pe bekhudi chhaai
khule the dil ke daravaaze, muhabbat bhi chali aai
tamannaaon ki duniya par, javaani chhaa gayi
vo bhuli daastaan......

vo bhuli daastaan lo phir yaad aa gai
nazar ke saamane ghata si chhaa gai
vo bhuli daastaan lo phir yaad aa gai . . . .

Thursday, April 22, 2010

नारी

एक ऐसा परमात्मा का बनाया हुआ 'अस्तितिव'

जिसे न अपनी भूख का ख्याल है न तो प्यास की चिन्ता ,

बस परवाह है तो उन सभी की जिनके लिए सिर्फ वही जीना जानती है ..

और सिसकती है हर पल उन सबका प्यार पाने को ,

जिन लोगो पर वो हँसते -२ अपने जीवन का स्नेह उन्हें सीचने में लगा देती है ..

वक़्त पर सदा सबका काम करती है ,पर

खुद पर एक लम्हा भी न खर्च करती है ..

वो अपना वजूद खोकर किसी की जीवन संगनी बनती है,

फिर वो ही क्यों न उसे समझ पता है ,

और स्वयं की अवनति का कारन भी उसी को बताता है ..

जिन लोगो का इंतज़ार वो नज़रे बिछाये दिन भर करती है ,

वे ही खुद को उसके नजरो में आये आंसुओ का कारन बनाता है ..

सभी की इच्छाओ को पूरी करने की कोशिश करती है जो ,

उसकी इच्छाओ पर सदा ही वो ताले लगाता है ..

फिर भी मुस्कराता हुआ उसका चेहरा अपना हर दुःख , हर दर्द अपने भीतर

ही छुपता है...

कभी किसी से न कहता है !!!

कभी किसी से न कहता है !!!

By : vibha

Tuesday, April 20, 2010

WAQT

Nanhe-Nanhe lamho se milkar bana hai waqt yeh..
Ankhe moond kar socho to jaise thama ho yeh..


kaagaz ke panno pe uttaaro to bhi datte nahi,
Daude aise teji se ,kehne per bhi ruke nahi..


kabhi sath musKuraaye to kabhi pal bhar me
rula jaaye..
Dekar jakham itne gehre, pir khud hi un per
pyyar se marham lagaye..


kabhi khushgavaar mausam ban jaaye..
kabhi faili dhup mein seenkh bhar
chhao ki chat bhi na mil paaye..


Aise hi waqt ke lamho mein jindgi gujar jayegi..
khushi aur gam ke melo mein simat jayegi..


Aankhe bhi dhekengi raasta kisi ke aane ka..
Phir waqt ke daaman mein maut bhi lipat jayegi...!!!

By : vibha

Monday, February 15, 2010




मेरा तो जो भी क़दम है
वो तेरी राह में है
के तू कहीं भी रहे
तू मेरी निगाह में है!!

खरा है दर्द का रीशता
तो फिर जुदाई क्या
जुदा तो होते हैं वो
खोट जिनकी चाह में है !!

छुपा हुआ सा मुझी में
है तू कहीं ऐ दोस्त
मेरी हँसी में नहीं है
तो मेरी आह में है !!!

INDVIDUAL CAN TAKE REBIRTH !!!

Hi !!
As I m here after a long time to write something for those who anyhow related to me. It might not be accurate in the exact language that what?? Actually I want to share...
Most of the people think that if in any way they got another chance to do the particular work which they want to do in there life then I m sure they would do that particular work in a best way.
But over n all they thought that the "TIME HAS PASSED" and they can't do any thing regards that...and they become 'frustrated' and feel like they have 'Lost' the race of life.
For all those, I just want to share something...LIKE you SEE in a particular season an OLD TREE shed all its leaves ,to the bottom of everyone's foot and also make itself look like an soulless 'WOODENBARK' which has no more life in it, or look like a deadbody..
But as we all see it ,in the coming season the NEW epics start growing from that hard wooden bark and after some time we see that particular tree is taking new birth from its own soulless like structure and look like a new TREE having full of NEW ENERGY in it...
LIKE that an individual can also make a new birth of his own ,from the ash of his work which are done by him in past by which he not at all satisfied . .BUT,,,,Like the TREE
He can make his life like a new birth of his own soul from the past one. After that birth he will surely "ENJOY" the part of life which the GOD in real want’s to give him....

By : vibha

Saturday, January 09, 2010

बड़ी तदबीर से तेरे रिश्ते को निभाने

की चाहत की थी !

मुश्किल वक़्त में तेरी यादों को संजोने की

आदत की थी !

होंसला यदि झुका भी कभी ..

तो तेरी उम्मीदों पर खरा उतरने की हसरत की थी !

सिवाय तेरे साथ के बंधन के , कुछ न माँगा था मैंने

फिर क्यों तुने मुझसे ,

उस साथ की कीमत अदा करने की चाहत की थी !

शायद कमीं रह गयी ,मेरे कर्तव्यों में कहीं ,

जो तुने दिल से दूर जाने की इच्छा की थी !

माफ़ कर दे मुझे , पूरी न कर पाई मैं जो....

तुने मुझसे एक आशा की थी !

लगे है ,सिमट रहा है वक़्त

तेरे संग चलने का ...

और कहाँ मैंने ,हमेशा तेरा साथ देने की

आरज़ू की थी !

ईश्वर से मेरी गुजारिश है .....

पूरी कर दे हर वो दुआ

जो मैंने तेरे लिए महफूज़ की थी !!!!

By : vibha