बड़ी तदबीर से तेरे रिश्ते को निभाने
की चाहत की थी !
मुश्किल वक़्त में तेरी यादों को संजोने की
आदत की थी !
होंसला यदि झुका भी कभी ..
तो तेरी उम्मीदों पर खरा उतरने की हसरत की थी !
सिवाय तेरे साथ के बंधन के , कुछ न माँगा था मैंने
फिर क्यों तुने मुझसे ,
उस साथ की कीमत अदा करने की चाहत की थी !
शायद कमीं रह गयी ,मेरे कर्तव्यों में कहीं ,
जो तुने दिल से दूर जाने की इच्छा की थी !
माफ़ कर दे मुझे , पूरी न कर पाई मैं जो....
तुने मुझसे एक आशा की थी !
लगे है ,सिमट रहा है वक़्त
तेरे संग चलने का ...
और कहाँ मैंने ,हमेशा तेरा साथ देने की
आरज़ू की थी !
ईश्वर से मेरी गुजारिश है .....
पूरी कर दे हर वो दुआ
जो मैंने तेरे लिए महफूज़ की थी !!!!
By : vibha