कुछ खुशनुमा मौसम हुआ करता था.......
कुछ रौशनी से भरे बादल थे.......
जब हम पूछते थे तुमसे,तब हम तुम्हारे क्या थे...
प्यार की देहलीज़ पे जब कदम रखा हमने,तब तुम थे संग हमारे...
फिर आज यह वक्त आ गया,की वो सुन्हेरा वक्त कही बहुत दूर चला गया ...
बहुत दूर चले गए ,,, तुम भी तो चले गए थे ,,,,,
ओर कभी बताया भी नहीं ,के ऐसे जाना होगा.....
हर उस पल के परिंदों को आज भी जिन्दा रखा है मैंने अपने जेहन में...
तुम्हें भी वो कुछ बीते पल याद है के नहीं ....
कभी बताया नहीं तुमने......
वो सर्दियों की धुप में हमारा मिलना...
ओर फिर नज़र बहर तुम्हें देख कर मेरा लौट कर चले जाना...
उस दौर का माहोल तुम्हें याद है के नहीं .....
कभी बताया नहीं तुमने..........