जैसा मिला , भला मिला ,
कुछ मिला तो सही . . . .
जो खोया ,चला गया ,
फिर भी बात संभली रही . . . .
गर हुआ कोई महरूम खुशियों से ,
फिर काहे साची हस्ती उसकी मिटती रही . . . .
कोन अपना है , कोन हुआ बेगाना ,
उसकी समझ है यदि , फिर काहे न समझे मन ,
कोई यहाँ सगा नहीं . . . .
कहने को तन्हाई में संग है यादें बहुत ,
फिर क्यूँ तन्हा जीने की आदत नहीं . . . .
जिन्दगी में किनारे की तलाश है सभी को ,
पर राह में आई मुश्किलों का हिसाब नहीं . . . .
कैसे कहे क्या पा लिया ओर क्या खोया ,
जब दिल को ख़ुशी का आगाज़ ओर दुःख का एहसास नहीं . . . . .