" अनकही दरकार हैं "
खो गए है जो सिरे जिन्दगी के,
वक्त को दरकार हैं उन्हें तलाशने की,सवारनें की ..
मासूमियत भरे दिल को दरकार है,
बिन घबराहट के धडकने की ..
मश्गुलियत भरी अदाओं को दरकार हैं,
फिर से सिमट जाने की ..
दबी सी इच्छा की दरकार हैं,
फिर से पंख पसार के उड़ने की चेह्कने की ..
बदलते मौसम के साथ उड़े रेत में दबी सम्पूर्ण परछाई
को दरकार है,
फिर से संग में चलने की ,टहलने की ..
आँखों से छलके आंसुओ को दरकार है ,
फिर से आँखों में चमक बनकर टिमटिमाने की .......