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Saturday, January 09, 2010

बड़ी तदबीर से तेरे रिश्ते को निभाने

की चाहत की थी !

मुश्किल वक़्त में तेरी यादों को संजोने की

आदत की थी !

होंसला यदि झुका भी कभी ..

तो तेरी उम्मीदों पर खरा उतरने की हसरत की थी !

सिवाय तेरे साथ के बंधन के , कुछ न माँगा था मैंने

फिर क्यों तुने मुझसे ,

उस साथ की कीमत अदा करने की चाहत की थी !

शायद कमीं रह गयी ,मेरे कर्तव्यों में कहीं ,

जो तुने दिल से दूर जाने की इच्छा की थी !

माफ़ कर दे मुझे , पूरी न कर पाई मैं जो....

तुने मुझसे एक आशा की थी !

लगे है ,सिमट रहा है वक़्त

तेरे संग चलने का ...

और कहाँ मैंने ,हमेशा तेरा साथ देने की

आरज़ू की थी !

ईश्वर से मेरी गुजारिश है .....

पूरी कर दे हर वो दुआ

जो मैंने तेरे लिए महफूज़ की थी !!!!

By : vibha