Popular Posts

Friday, August 06, 2010



वक्त के परिंदों को जब भी उड़ते देखती हूँ
अपने दुप्पट्टे के कोने में एक गाँठ लगाकर ,,
उस एहसास को कैद करने का जी करता है । . . .
मौसम के विपरीत चलती है जो पवन ,
उस सकूं भरे एहसास को ,
जिन्दगी की डोर में पिरोने का जी करता है । . . .
कुछ प्यारे,कुछ अनजाने ऐसे पल दाखिल हुए जिन्दगी में मेरे ,,
के उनके संग दूर तक चलने को जी करता है । . . .
बहता है अपनी गति से पानी सदा ,,
पर मेरा .......
सावन की रिम -झिम को हतेली पर समेटने का जी करता है । . . .
जिधर भी देखो , जहा भी देखो
आज हर पेड़ की शाख नयी लगी . . . .
ऐसे ही अनेको गुमनाम एहसासों को लेकर ,,
हल पल मुस्कराने को जी करता है !!!!