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Saturday, October 30, 2010



तेरी सलामती की दुआ है , लोबो पर मेरे ,,
पूरी हो हर आरजू ऐसी दिल में हसरत है मेरे ....

क्या हुआ गर तू नहीं साथ मेरे ,
पलकों के छोर पर संग बिताये पलो की यादें महफूज़ है मेरे .....

आज भी याद है , वो धुंधली रोशिनी में मेरा तुझसे दूर होना ,,,
ओर फिर एक दिन तेरा दूर से ही चले जाना ......

मन में मेरे तेरे हर स्पर्श का एहसास है ,,
कैसे कहुं तुझे ,आज भी तुझसे मिलने की दिल को एक आस है ......

जानती हूँ , मजबूरियां है ,,जीवन में बहुत ,,,
कैसे जातायुं तुझे .....तुझसे बिछड़ के मेरी आँखे रोई बहुत .......

तन्हाई की सेज है ,,उदासी की सजावट है ...
कैसे तुझे मालूम हो की , तुझे देखे बिना कोई कितना बैचैन है ......

ऐसा लगे है मानो ,रुक गई हो जिन्दगी जैसे ,,
ख़ुशी का मौसम छाया था, कुछ पल का ,, ओर यहाँ श्याम भी अंधेर है .........

आँख से झलकी हर बूँद में सिमटे हैं ,ढेरो सपने...
आज जो हैं दूर मुझसे,कभी वो भी थे अपने...

कैसे करू बयान मैं, अपने दिल का हाल तुम्हें...
क्या मानु तुम्हारी यादों को पा लिया मैंने या फिर खो दिया तुम्हें....