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Sunday, September 19, 2010

""""" तस्वीर अधूरी रहनी थी """""

मैं तो इतनी भाग्यवान हूँ ....जिसे अभावों ने है पाला ...
संगर्षोंकी सेज मिली ....ओर दर्द का मिला दुशाला ....

यह मैं कैसे घोषित कर दूँ ....मेरे दिल में व्यथा नहीं है ....
किन्तु संघर्षों से हार मानना ....अपने कुल की प्रथा नहीं है ....

शायद गत जन्मो में मैंने ....अधबने नीड़ तोड़े होंगे ....
चातक का स्वर सुनने वाले .....बादल वापस मोड़े होंगे ....
ऐसा अपराध हुआ होगा ....फिर जिसकी शमा नहीं मिलती ....
हिरनी के द्रग फोड़े होंगे ....तितर के पर नोचे होंगे ....
इसलिए मेरे मन को .....बेचैन तड़पना था !!!!
मन में कस्तूरी रहनी थी .......
तस्वीर अधूरी रहनी थी !!!!!!!!!!!!!
तस्वीर अधूरी रहनी थी !!!!!!!!!!!!!