Popular Posts

Thursday, April 22, 2010

नारी

एक ऐसा परमात्मा का बनाया हुआ 'अस्तितिव'

जिसे न अपनी भूख का ख्याल है न तो प्यास की चिन्ता ,

बस परवाह है तो उन सभी की जिनके लिए सिर्फ वही जीना जानती है ..

और सिसकती है हर पल उन सबका प्यार पाने को ,

जिन लोगो पर वो हँसते -२ अपने जीवन का स्नेह उन्हें सीचने में लगा देती है ..

वक़्त पर सदा सबका काम करती है ,पर

खुद पर एक लम्हा भी न खर्च करती है ..

वो अपना वजूद खोकर किसी की जीवन संगनी बनती है,

फिर वो ही क्यों न उसे समझ पता है ,

और स्वयं की अवनति का कारन भी उसी को बताता है ..

जिन लोगो का इंतज़ार वो नज़रे बिछाये दिन भर करती है ,

वे ही खुद को उसके नजरो में आये आंसुओ का कारन बनाता है ..

सभी की इच्छाओ को पूरी करने की कोशिश करती है जो ,

उसकी इच्छाओ पर सदा ही वो ताले लगाता है ..

फिर भी मुस्कराता हुआ उसका चेहरा अपना हर दुःख , हर दर्द अपने भीतर

ही छुपता है...

कभी किसी से न कहता है !!!

कभी किसी से न कहता है !!!

By : vibha