मुद्दतें बीत गई एक प्यार का अलफ़ाज़ सुने ..
जमाना गुज़र,औरहम तेरी यादों में खोये रहे ..
ऎसी पड़ी बदलते हुए वक्त की मार ..
अब तो उम्र भी निकल रही,और हम सब आंसू समेटे रहे ........
खामोशियो से बढती रही उलझने बीच हमारे ,
सिमटता रहा दिलो का प्यार ,दिल से हमारे ,
क्यों आज समझे है हम, वो इतिफाक ..
की तू नहीं है साथ ...अब हमारे ............
1 comment:
"Bin tere koi aas bhi na rhi,
itne tadpe ki pyas bhi na rhi"
Post a Comment