जिन्दगी के उस दौर में , दर्द भरा था सिने में ,
सबको पता थी पीड़ा मेरे मन की ,फिर यह उसे ही क्यों न मालूम था . . .
गैरों के पुकारने पर , जिसने गौर किया सभी की बात पर ,
फिर जिससे दिल का रिश्ता बनाया , क्यों नहीं था एहसास उसी के प्यार का . . .
कितना ही रोई नज़रे , उसी के इंतज़ार में ,
हर ओर चहल-पहल थी , पर एक दिल बेजान था ,
सारे जहां की खबर थी उसे, क्या इस बात का पता नहीं था . . . .
उसके बिना न दिन कटता था , न ही रात गुजरती थी ,
बस अँधेरा हुआ था जहां में मेरे , क्या दिल ने उसके इस बात का जीकर किया था . . . . .
जिन राहो पर संग चलने की कसमे खाई , उसके जाने के बाद ,
अकेला रहना होगा मुझको , क्या इस बात से उसे मेरे तनहा होने का ख्याल नही था . . . . .
उसे ही तलाशती थी मेरी नज़रे हर वक्त , उसी से एक कतरा ख़ुशी की चाहत की थी ,
यदि पूछे आज उससे कोई ,तो क्या उसे कभी मेरे बेइंतिहा प्यार का एहसास नहीं था . . . . .
9 comments:
आपकी रचना के भाव से अभी जो गज़ल लिख रहा हूँ उसकी दो फंक्तियाँ याद आयी-
भाव चेहरे पर लिखा जो लब से वो कहते नहीं
है खुशी और गम जहां में अश्क यूँ बहते नहीं
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
अहसास गहरें हैं,
दर्द गहरा है. बस माप नहीं सकते-
जो अहसास न करे अपने दर्द का-
उसे हम अपना दर्द का karonwaan हिस्सा भी नहीं बयाँ कर सकते!
दर्द तब और बढ़ जाता है! दर्द, दर्द और बस दर्द!
मगर इस दर्द से आगे भी कुछ है!
खुशी पाने की एक ललक, जीने की तमन्ना-
और इस खूबसूरत दुनिया को बस देखते रहना...
बस ललक को कोई क़ैद नहीं कर पता...
वो भी नहीं जिसे हम 'अपने अहसास' कराते-करात थके से महसूस करते हैं.!
थोड़े से संयोजन की नजाकत है रचना में.! शुक्रिया.
बहुत सुन्दर रचना धन्यवाद|
सहज सरल अभिव्यक्ति..,अच्छी कविता के लिए बधाई।
Here is some thing for a interesting person like you my recent youtube upload a melodious
loving duet performed by hemant kumar and lata ..
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हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
helo ,,
thank you all for appreciation..
सोच को शब्द देने का सार्थक प्रयास - शुभ आशीष
bas itna hi kahunga....vaah....
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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