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Thursday, October 21, 2010

" क्या खोया क्या पाया "


जैसा मिला  , भला मिला  ,
     कुछ मिला तो सही . . . .

जो खोया ,चला गया ,
      फिर भी बात संभली रही . . . .

गर हुआ कोई महरूम खुशियों  से ,
      फिर काहे साची हस्ती उसकी मिटती रही . . . .

कोन अपना है ,  कोन हुआ बेगाना ,
      उसकी समझ है यदि , फिर काहे न समझे मन ,
कोई यहाँ सगा नहीं . . . .

कहने को तन्हाई में संग है यादें बहुत ,
     फिर क्यूँ तन्हा जीने की आदत नहीं  . . . .

जिन्दगी में किनारे की तलाश है सभी को ,
      पर राह में आई मुश्किलों का हिसाब नहीं . . . .  

कैसे कहे क्या पा लिया ओर क्या खोया ,
      जब दिल को ख़ुशी का आगाज़ ओर दुःख का एहसास नहीं . . . . .

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