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Friday, August 20, 2010

गुजरे हुए वक्त की ...........क्या बात कहे हम........

खामोश से होंठो से ..........क्या बात करे हम.....

ढक रहे है नम आँखों............. को पल्ले से अपने ..........

अपनी जुबान में यह शब्द ...........कैसे कहे हम ........

एसी हालत में.........तुही बता..........क्या मुलाकात करे हम .......

दिल ने महसूस की.............. जब भी कमी तेरी ..........

चाह तुझे बता दे...........पर खुद में ही सिमटे रहे हम.................

Thursday, August 19, 2010


तुझ बिन अकेला है यहाँ कोई , तुझ बिन रुसवा

है यहाँ कोई .......


हर बात में आती है तेरी ही याद , तुझ बिन अधुरा है यहाँ कोई

तेरे साथ जिन्दगी के जो पल गुजारे , तो आज क्यों जीए तेरे बिन यहाँ ,

सोच कर यह ' निशब्द' है यहाँ कोई .................



Monday, August 09, 2010

" एक ओर जिन्दगी चाहिए तुम्हारे साथ "


एक ऐसी जिन्दगी चाहिए , जो सिर्फ तुम्हारे संग बिता सकूँ ......
अपने समय का हर पल तुम्हारे साथ , , सिर्फ तुम रहो ओर मैं ,

जहाँ पर कही कोई तकलीफ न हो , ओर न हो तुम्हें खोने का डर ...

जहाँ पर तुमसे दूर जाने का ख्याल भी न हो कभी ......

जहाँ भी अकेली जाऊ , तुम्हें अपने साथ ले चलने के लिए जिद्द कर सकूँ ,

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए जो सिर्फ तुम्हारे संग बिता सकूँ !!!!!!!!!!

जब भी दिन का उजाला हो , तुम्हारे माथे पर चूम कर तुम्हें उठा सकूँ ,

मंदिर से लाया गया परशाद तुम्हें अपने हाथो से खिला सकूँ ,

जब भी चाहूँ तुम्हें जी भर के निहार सकूँ , तुम्हारे काँधे पर सर रख सो सकूँ ,

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए , जो सिर्फ तुम्हारे साथ बिता सकूँ !!!!!!!!!

एक जिन्दगी जिसमे तुम्हारे साथ मिर्च वाला खाना भी खा सकूँ ,

ओर जिसमे मुझे चाय पीने की भी आदत हो ,

ओर तुम्हारा कप छीनकर मैं पी सकूँ ,

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए जो सिर्फ तुम्हारे साथ बिता सकूँ !!!!!!!!!

जहाँ तुम्हारे साथ जा कर मैं जंगल में बनी उस पगडण्डी को देख सकूँ , ,

जो सिर्फ सफ़र में जाते हुए नजर आती है , ,

एक ऐसी जिन्दगी जिसमे तुम मुझे तुम जब चाहो गले लगा सको ,,

जहाँ चाहो पा सको . . . . . .

एक ऐसी जिन्दगी चाहिए , जो सिर्फ़ तुम्हारे संग बिता सकूँ !!!!!!!!

Friday, August 06, 2010



वक्त के परिंदों को जब भी उड़ते देखती हूँ
अपने दुप्पट्टे के कोने में एक गाँठ लगाकर ,,
उस एहसास को कैद करने का जी करता है । . . .
मौसम के विपरीत चलती है जो पवन ,
उस सकूं भरे एहसास को ,
जिन्दगी की डोर में पिरोने का जी करता है । . . .
कुछ प्यारे,कुछ अनजाने ऐसे पल दाखिल हुए जिन्दगी में मेरे ,,
के उनके संग दूर तक चलने को जी करता है । . . .
बहता है अपनी गति से पानी सदा ,,
पर मेरा .......
सावन की रिम -झिम को हतेली पर समेटने का जी करता है । . . .
जिधर भी देखो , जहा भी देखो
आज हर पेड़ की शाख नयी लगी . . . .
ऐसे ही अनेको गुमनाम एहसासों को लेकर ,,
हल पल मुस्कराने को जी करता है !!!!

Tuesday, July 27, 2010

"तेरे जाने के बाद "

डर लगा अचानक ,जिन्दगी की हर ख़ुशी के अन्त होने का ..
झरने की तरह बहे आंसू , तेरे जाने के बाद . . . .


तुझे कैसे मालूम पड़े , सर्दियों के उन धुंद भरे दिनों में भी ,
सुलगती चिता सी जली हूँ मैं , तेरे जाने के बाद . . . .


साथ न मिला कोई तो , बेजान सी मैं , लिपट कर एक पेड़ से,
क्या मालूम तुझे कितना रोई मैं , तेरे जाने के बाद . . . .


हर चांदनी रात के आगोश में ,नजरें देखती रही उस चाँद को,
तुझे क्या एहसास ,ऐसी ही कितनी रातें निकाली मैंने , तेरे जाने के बाद . . . .


अपनी हर ख़ुशी की आहुति दे डाली मैंने ,
हर वक्त रहते थे पानी के सैलाब आँखों में मेरे ,


यह यकीन था के नहीं लौटेगा तू ,
फिर भी अपनी हर दुआ में ,तेरी ही सलामती की दुआ करी ,तेरे जाने के बाद . . . .

Wednesday, July 21, 2010



मुद्दतें बीत गई एक प्यार का अलफ़ाज़ सुने ..

जमाना गुज़र,औरहम तेरी यादों में खोये रहे ..

ऎसी पड़ी बदलते हुए वक्त की मार ..

अब तो उम्र भी निकल रही,और हम सब आंसू समेटे रहे ........

खामोशियो से बढती रही उलझने बीच हमारे ,

सिमटता रहा दिलो का प्यार ,दिल से हमारे ,

क्यों आज समझे है हम, वो इतिफाक ..

की तू नहीं है साथ ...अब हमारे ............

Friday, July 16, 2010

कभी बताया नहीं तुमने

कुछ खुशनुमा मौसम हुआ करता था.......
कुछ रौशनी से भरे बादल थे.......

जब हम पूछते थे तुमसे,तब हम तुम्हारे क्या थे...
प्यार की देहलीज़ पे जब कदम रखा हमने,तब तुम थे संग हमारे...


फिर आज यह वक्त गया,की वो सुन्हेरा वक्त कही बहुत दूर चला गया ...
बहुत दूर चले गए ,,, तुम भी तो चले गए थे ,,,,,


ओर कभी बताया भी नहीं ,के ऐसे जाना होगा.....
हर उस पल के परिंदों को आज भी जिन्दा रखा है मैंने अपने जेहन में...

तुम्हें भी वो कुछ बीते पल याद है के नहीं ....
कभी बताया नहीं तुमने......

वो सर्दियों की धुप में हमारा मिलना...
ओर फिर नज़र बहर तुम्हें देख कर मेरा लौट कर चले जाना...


उस दौर का माहोल तुम्हें याद है के नहीं .....
कभी बताया नहीं तुमने..........

Thursday, July 15, 2010

कैसे भुलाऊ ??



जब भी लोगो की भरी महफ़िल में हम जाते है ,
सभी होते है पास हमारे , पर हम तनहा रह जाते है ,


और अपनी उस तन्हाई में , तुझे अपने ओर करीब पाते है . .


फिर भी तेरे करीब होने की हर उम्मीद तोड़ते है
और फिर घर लौट जाते है !!


वीरानिया कुछ ऐसी बढ़ जाती है , जिन्दगी में मेरी
इसलिए ही , तेरे साथ होने का वादा खुद से निभाते है . .


वक्त के हर पहलु से पूछते है , कैसे भुलाऊ तुझे मेरे हमराही
और खुद ही तेरी जुदाई के गम में सुबक के रह जाते है . .


पर तुम फिकर न करना मेरे आंसुओ की कभी
हम तो नम आँखों से भी हर लम्हा मुस्कराते है !!!

Sunday, May 30, 2010

"तुम मुझे पालो मैं तुम्हें पालू"

शब्दों के इस जाल से ,एक शब्द निकला है

तुमने हमारी जुबान का हर शब्द संभाला है । ।

हर वक्त याद रहती है मेरे दिल में तुम्हारी

तुमने मुझे जीवन भर इस तरह से पाला है । ।

अनदेखी में भी नज़रंदाज़ न किया तुमने मुझे

हर दुःख से तुमने मुझे इस तरह उबारा है । ।

होती है मन मैं ख़ुशी मेरे तब-तब

जब -जब मैंने होंठो से तेरा नाम पुकारा है । ।

दिल में तेरी तस्वीर को ऐसे पाल रखा है मैंने

जैसे मेरा जीने का एक तुही सहारा है । ।

तन्हाई में आती है तेरी याद चलकर ऐसे

जैसे दुनिया की इस भीड़ में एक तू ही किनारा है । ।

सुबह की पहली किरण से आया तेरा ख्याल ऐसे

जैसे तुझ बिन जिब्दगी में कुछ भी ना मेरा है । ।

चाहूँ के , तू सदा रहे मेरे साथ मेरी परछाई बन कर

और मैं पालू तुझे अपने हिरदय में ऐसे

जैसे तेरे बिन मेरा जीना , एक पल भी न गंवारा है । ।

by : vibha sharma

Thursday, May 27, 2010


vo bhuli daastaan lo phir yaad aa gai . .
nazar ke saamane ghata si chha gai . .

kahaan se phir chale aaye, vo kuchh bhatke hue saaye
vo kuchh bhule hue naghame, jo mere pyaar ne gaaye
vo kuchh bikhari hui yaaden, vo kuchh toote hue naghame
paraaye ho gaye to kya, kabhi ye bhi to the apane
na jaane inse kyon mil kar, nazar sharma gai
vo bhuli daastaan..............

bade rangin zamaane the, taraane hi taraane the
magar ab poochhata hai dil, vo din the ya fasaane the
faqat ik yaad hai baaki, bas ik fariyaad hai baaki
vo khushiyaan lut gai lekin, dil-e-barabaad hai baaki
kahaan thi zindagi meri, kahaan par aa gai
vo bhuli daastaan......

ummeedon ke hansi mele, tamannaaon ke vo rele
nigaahon ne nigaahon se, ajab kuchh khel se khele
havaa men zulf laharaai, nazar pe bekhudi chhaai
khule the dil ke daravaaze, muhabbat bhi chali aai
tamannaaon ki duniya par, javaani chhaa gayi
vo bhuli daastaan......

vo bhuli daastaan lo phir yaad aa gai
nazar ke saamane ghata si chhaa gai
vo bhuli daastaan lo phir yaad aa gai . . . .

Thursday, April 22, 2010

नारी

एक ऐसा परमात्मा का बनाया हुआ 'अस्तितिव'

जिसे न अपनी भूख का ख्याल है न तो प्यास की चिन्ता ,

बस परवाह है तो उन सभी की जिनके लिए सिर्फ वही जीना जानती है ..

और सिसकती है हर पल उन सबका प्यार पाने को ,

जिन लोगो पर वो हँसते -२ अपने जीवन का स्नेह उन्हें सीचने में लगा देती है ..

वक़्त पर सदा सबका काम करती है ,पर

खुद पर एक लम्हा भी न खर्च करती है ..

वो अपना वजूद खोकर किसी की जीवन संगनी बनती है,

फिर वो ही क्यों न उसे समझ पता है ,

और स्वयं की अवनति का कारन भी उसी को बताता है ..

जिन लोगो का इंतज़ार वो नज़रे बिछाये दिन भर करती है ,

वे ही खुद को उसके नजरो में आये आंसुओ का कारन बनाता है ..

सभी की इच्छाओ को पूरी करने की कोशिश करती है जो ,

उसकी इच्छाओ पर सदा ही वो ताले लगाता है ..

फिर भी मुस्कराता हुआ उसका चेहरा अपना हर दुःख , हर दर्द अपने भीतर

ही छुपता है...

कभी किसी से न कहता है !!!

कभी किसी से न कहता है !!!

By : vibha

Tuesday, April 20, 2010

WAQT

Nanhe-Nanhe lamho se milkar bana hai waqt yeh..
Ankhe moond kar socho to jaise thama ho yeh..


kaagaz ke panno pe uttaaro to bhi datte nahi,
Daude aise teji se ,kehne per bhi ruke nahi..


kabhi sath musKuraaye to kabhi pal bhar me
rula jaaye..
Dekar jakham itne gehre, pir khud hi un per
pyyar se marham lagaye..


kabhi khushgavaar mausam ban jaaye..
kabhi faili dhup mein seenkh bhar
chhao ki chat bhi na mil paaye..


Aise hi waqt ke lamho mein jindgi gujar jayegi..
khushi aur gam ke melo mein simat jayegi..


Aankhe bhi dhekengi raasta kisi ke aane ka..
Phir waqt ke daaman mein maut bhi lipat jayegi...!!!

By : vibha

Monday, February 15, 2010




मेरा तो जो भी क़दम है
वो तेरी राह में है
के तू कहीं भी रहे
तू मेरी निगाह में है!!

खरा है दर्द का रीशता
तो फिर जुदाई क्या
जुदा तो होते हैं वो
खोट जिनकी चाह में है !!

छुपा हुआ सा मुझी में
है तू कहीं ऐ दोस्त
मेरी हँसी में नहीं है
तो मेरी आह में है !!!

INDVIDUAL CAN TAKE REBIRTH !!!

Hi !!
As I m here after a long time to write something for those who anyhow related to me. It might not be accurate in the exact language that what?? Actually I want to share...
Most of the people think that if in any way they got another chance to do the particular work which they want to do in there life then I m sure they would do that particular work in a best way.
But over n all they thought that the "TIME HAS PASSED" and they can't do any thing regards that...and they become 'frustrated' and feel like they have 'Lost' the race of life.
For all those, I just want to share something...LIKE you SEE in a particular season an OLD TREE shed all its leaves ,to the bottom of everyone's foot and also make itself look like an soulless 'WOODENBARK' which has no more life in it, or look like a deadbody..
But as we all see it ,in the coming season the NEW epics start growing from that hard wooden bark and after some time we see that particular tree is taking new birth from its own soulless like structure and look like a new TREE having full of NEW ENERGY in it...
LIKE that an individual can also make a new birth of his own ,from the ash of his work which are done by him in past by which he not at all satisfied . .BUT,,,,Like the TREE
He can make his life like a new birth of his own soul from the past one. After that birth he will surely "ENJOY" the part of life which the GOD in real want’s to give him....

By : vibha

Saturday, January 09, 2010

बड़ी तदबीर से तेरे रिश्ते को निभाने

की चाहत की थी !

मुश्किल वक़्त में तेरी यादों को संजोने की

आदत की थी !

होंसला यदि झुका भी कभी ..

तो तेरी उम्मीदों पर खरा उतरने की हसरत की थी !

सिवाय तेरे साथ के बंधन के , कुछ न माँगा था मैंने

फिर क्यों तुने मुझसे ,

उस साथ की कीमत अदा करने की चाहत की थी !

शायद कमीं रह गयी ,मेरे कर्तव्यों में कहीं ,

जो तुने दिल से दूर जाने की इच्छा की थी !

माफ़ कर दे मुझे , पूरी न कर पाई मैं जो....

तुने मुझसे एक आशा की थी !

लगे है ,सिमट रहा है वक़्त

तेरे संग चलने का ...

और कहाँ मैंने ,हमेशा तेरा साथ देने की

आरज़ू की थी !

ईश्वर से मेरी गुजारिश है .....

पूरी कर दे हर वो दुआ

जो मैंने तेरे लिए महफूज़ की थी !!!!

By : vibha

Saturday, November 07, 2009

Tanhai jo mili ,
khud se mil gaye hum,
Har rusvai jo mili,
pal bhar ruk gaye hum. .
Aas-paas ghutan thi,
khamosh jaha tha .
Na din gujarta tha ,
bas raat ka sama tha ! !
Lamhe kat rahe hai ,
us gam mein aaj bhi
kyu chaha tha use,
manzil ...tha jo nahi ! !
Ho roshan duniya meri,
uske sath hi.
Socha tha .. maine bhi
Vo aaye phir kabhi...
Lekar pal khushiyo ke ..
phir chhaye jindgi... ! !
Mumkin nahi hai shyad..
us waqt ko bhul pana..
Ankho se ,behte hai aansu..
Rota hai Dil Diwana... !!!
By : vibha

Thursday, October 29, 2009

Jaane Tu Mera Kya Hai, Jaane Tu Mera Kya Tha
Tu Hi Mera Har Pal, Tu Hi Har Lamha Tha
Jaane Kaisi Kashish Hai, Jaane Kaisi Khalish Hai
Kyun Yeh Saans Thami Hai, Aankhon Mein Kyun Nami Hai
Hai Dosthi Humko Yakeen Tha, Dosti Aur Kuch Bhi Nahin Tha
Hai Kaisa Dard Naya Sa, Kyun Dil Lagta Toota Toota Sa...

Hoti Thi Tujh Se Subah Har Din Ki
Teri Dopehar Se Shyam Ki Dhun Thi
Hothi Thi Raathein Teri Baathon Mein Khoye
Tere Khayalon Mein hi Jaage Aur Soye
Tu Jo Nahin To ,,Kya Raha...
Maana k kuch Shikayat hai mujhe usse,

Jaanu na k unhe door kaise karu..

Khamosh rahu saamne uske,

pir har baat ka Jikar usse kaise karu..

Samjhe bhi na,Maane bhi na,

Ishq ki tehzeeb pechaane bhi na.

Is haal me bata main usse baat kaise karu..

Kitno ke dukhaye hai Dil usne,

kitno ko rulaya hai ,Duniya ki bheed mein,

Saari karni jaanu uski ,Har harkat pechanu uski,

Pir bhi usse 'Na' koi gila kaise karu..

Hai mukkamal is jivan mein ,Shyad hi use bhool paau,

Mann kare hai ..k

Saath uske kisi mod per teher jaau,

Mumkinn nahi hai shyad yeh,

par use apna haal-e-dil baaya kaise karu...

By : vibha

Tuesday, October 27, 2009

Jise paya tha,

Nazdeekiyo me apne

Uske khone ke gam se

ghabra gaye the...

Jise mana tha, naseeb apna

uski ulfat me kho gaye the

Rahoon me "safar" ke saahil dikha tha,

Nazar kareeb gayi vahan jab,

kahin koi na mila tha...

Aankhon mein dheron sapne the,

jubaan pe beete baaton ke nagme the...

Haqiquat mein mehsus kiya jab,

Na hum unke the..Na vo humare the.....

By : vibha